Wednesday, April 15, 2020

अकबर बीरबल | एक अनोखी कहानी


अकबर बीरबल | एक अनोखी कहानी




एक बार मुगल बादशाह अकबर और उनका अति प्रिय मंत्री बीरबल दोनो शतरंज खेलने बैठे. दोनो के बीच यह शर्त लगी कि उन मे से जो भी व्यक्ति शतरंज की बाजी हारेगा, उसे जीतने वाले कि इच्छा के अनुसार जुर्माना चुकाना होगा.




अकबर बीरबल एक अनोखी कहानी
अकबर बीरबल एक अनोखी कहानी





इसी क्रम मे पहले बीरबल बोला जहापनाह यदि आप जीत गए और मै हार गया तो हुकुम फरमाए कि मै आपको क्या जुर्माना चुकाऊगा ? बादशाह ने जवाब दिया बीरबल यदि यह बाजी मै जीता और तुम हारे तो तुम्हे, जुर्माना स्वरूप मुझे सौ स्वर्ण मुद्राए सौपनी होगी. इस पर बीरबल ने हा मे गर्दन हिलाई. अब बारी बीरबल कि थी, वह बोला जहापनाह, यदि इस बाजी मे आप हारे और मै जीता तो आप मुझे जुर्माना के रुप मे शतरंज के 64 खानो मे गेहू के दाने रखकर चुकाएगे.


लेकिन इसमे मेरी एक छोटी सी शर्त यह रहेगी, कि आपको शतरंज के पहले खाने मे गेहू का एक दाना रखना होगा, दूसरे खाने मे पहले के दुगने दो दाने, तीसरे खाने मे दो के दुगने चार दाने, चौथे खाने मे चार के दुगने आठ दाने, पाचवे खाने मे आठ के दुगने सोलह दाने....


ऐसे करते हुए शतरंज के सभी चौसठ खानो मे गेहू के दाने रख कर वे सारे गेहू के दाने जुर्माना स्वरुप मुझे सौप दे. बस यही मेरी शर्त है. बीरबल कि इस छोटी सी माग को सुनकर बादशाह अकबर ने जोरदार ठहाका लगाया, और बोला बीरबल मुझे तुम्हारी यह शर्त मंजूर है.


इसके बाद शतरंज का खेल शुरु हुआ. अब संयोग देखिए कि शतरंज कि उस बाजी मे बीरबल जीत गया और बादशाह अकबर को हार का मुह देखना पडा. अब बारी आई हारने वाले को जीतने वाले का जुर्माना चुकाने की. हारने वाले अकबर बादशाह ने बडे ही अहंकार के साथ अपने खजांची को हुकुम दिया, कि वह बीरबल को शर्त के अनुसार शतरंज के 64 खानो मे गेहू के दाने रख कर कुल दाने चुका दे.


बीरबल कि इस शर्त को पूरी करने के दौरन अकबर बादशाह का खजांची थोडी ही देर मे पसीने-पसीने हो गया. फिर वह अकबर बादशाह के सामने हाथ जोडकर खडा हो गया और बोला जहापनाह हम हुकूमत का सारा खजाना खाली कर ले, तो भी बीरबल कि इस शर्त को पूरी नही कर पाएगे. 

अकबर याने सुल्तान-ए-हिन्द को खजांची कि बात पर विश्वास नही हुआ. लेकिन जब खुद उसने 64 खानो कि जोड लगाई तो उसका मुह खुला का खुला रह गया.


आप भी शायद मेरी बात से इत्तेफाक नही रख रहे है. चलिए मै आपको समझाता हू. बीरबल की शर्त के अनुसार जहा शतरंज के पहले खाने मे गेहू का केवल एक दाना, दूसरे खाने मे दो दाने, तीसरे खाने मे चार दाने ऐसे रखे गये थे. वही शतरंज के सबसे आखिरी अकेले चौसठवे खाने मे गेहू के 9223372036854775808 दाने रखने पड रहे थे और एक से लगा कर चौसठ तक के सभी खानो मे रखे जाने वाले गेहू के कुल दानो कि संख्या हो रही है. 18446744073709551615 जिनका कुल वजन होता है. 1,19,90,00,00,000 मैट्रिक टन जो कि वर्ष 2019 के सम्पूर्ण विश्व के गेहू के उत्पादन से 1645 गुणा अधिक है.


साथियो, वृध्दि दो तरह की होती है. पहली संख्यात्मक वृध्दि और दूसरी होती है गुणात्मक वृध्दि. यदि शतरंज के चौसठ खानो मे क्रमश: 1, 2, 3.........62, 63, 64 कर के प्रत्येक खाने मे उसकी संख्या के अनुसार गेहू के दाने रखे जाते तो 64 खानो मे रखे गेहू के कुल दानो का योग होता मात्र 2080 दाने और यह कहलाती है संख्यात्मक वृध्दि जबकि बीरबल के द्वारा बताई गई गणना कहलाती है गुणात्मक वृध्दि. जहा संख्यात्मक वृध्दि मे 64 खानो का योग मात्र 2080 दाने होते है, वही गुणात्मक वृध्दि मे तो मात्र 11 खानो का योग ही 2047 दाने हो जाता है.





मै आशा करता हू, कि आप को मेरा यह पोस्ट पसंद आया होगा.

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