दीपावली
दीपावली |
हिंदू धर्म में यो
तो रोजाना कोई ना कोई पर्व होता है, लेकिन इन पर्वों में मुख्य त्योहार होली
दशहरा और दिवाली ही है.
हमारे जीवन में
प्रकाश फैलाने वाला दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता
है इसे ज्योति पर्व या प्रकाश उत्सव भी कहा जाता है.
इस दिन अमावस्या
की अंधेरी रात दीपको व मोमबत्तीयों के प्रकाश से जगमगा उठती है. वर्षा ऋतु की
समाप्ति के साथ-साथ खेतों में खड़ी धान की फसल भी तैयार हो जाती है.
दिवाली का त्यौहार
कार्तिक मास की अमावस्या को आता है. इस पर्व की विशेषता यह है कि जिस हफ्ता में यह
त्यौहार आता है उसमें पांच त्यौहार होते हैं, इसी वजह से सप्ताह भर लोगों में उत्साह
व उल्लास बना रहता है.
दीपावली से पहले
धनतेरस पर्व आता है. मान्यता है कि इस दिन कोई न कोई नया बर्तन अवश्य खरीदना चाहिए.
इस दिन नया बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. इसके बाद आती है, छोटी दीपावली फिर आती है दीपावली इसके
अगले दिन गोवर्धन पूजा तथा अंत में आता है भैया दूज का त्यौहार.
दीपावली |
अन्य त्यौहारो की
तरह दिवाली के साथ भी कई धार्मिक तथा ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई है.
समुद्र मंथन से
प्राप्त 14 रत्नों में से एक लक्ष्मी भी इसी दिन
प्रकट हुई थी. इसके अलावा जैन मत के अनुसार तीर्थंकर महावीर का महानिर्वाण भी इसी
दिन हुआ था.
भारतीय संस्कृत के
आदर्श पुरुष श्री राम लंका नरेश रावण पर विजय प्राप्त कर सीता लक्ष्मण सहित
अयोध्या लौटे थे. इनके अयोध्या आगमन पर अयोध्यावासियों ने भगवान श्रीराम के स्वागत
के लिए घरों को सजाया व रात्रि में दीपमालिका की.
ऐतिहासिक दृष्टि
से इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं में सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह मुगल
शासक औरंगजेब की कारागार से मुक्त हुए थे.
राजा विक्रमादित्य
इसी दिन सिंहासन पर बैठे थे. सर्वोदयी नेता आचार्य विनोबा भावे दिवाली के दिन ही
स्वर्ग सिधारे थे. आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद तथा प्रसिद्ध वेदांती
स्वामी रामतीर्थ जैसे महापुरुषों ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था.
यह त्यौहार बडे उत्साह
के साथ मनाया जाता है, इस दिन लोगों द्वारा दीपो व मोमबत्तियां जलाने से हुए प्रकाश से कार्तिक मास
की अमावस्या की रात पूर्णिमा की रात में बदल जाती है.
इस त्यौहार के
आगमन की प्रतीक्षा हर किसी को होती है. सामान्यजन जहां इस पर्व के आने से माह भर
पहले ही घरों की साफ-सफाई, रंग पुताई में जुट जाते हैं. वही व्यापारी तथा दुकानदार भी अपनी-अपनी दुकानें
सजाने लगते हैं.
इसी त्यौहार से
व्यापारी लोग अपने बही-खाते शुरू किया करते हैं. इस दिन बाजार में मेले जैसा माहौल
होता है. बाजार तोरण द्वारा तथा रंग बिरंगी पताकाओ से सजाए जाते हैं. मिठाई तथा
पटाखों की दुकानें खुब सजी होती हैं.
यह दिन खील बताशो तथा
मिठाइयों की खूब बिक्री होती है, बच्चे अपनी इच्छा अनुसार बम फुलझड़ियां तथा अन्य आतिशबाजी
खरीदते हैं. इस दिन रात्रि के समय लक्ष्मी पूजन होता है, माना जाता है कि इस दिन रात को लक्ष्मी
का आगमन होता है. लोग अपने इष्ट मित्रों के यहां मिठाई का आदान प्रदान करके
दीपावली की शुभकामनाएं लेते देते हैं. वैज्ञानिक दृष्टि से भी इस त्यौहार का अपना
एक अलग महत्व है. इस दिन छोड़ी जाने वाली आतिशबाजी व घरों में की जाने वाली सफाई से
वातावरण में व्याप्त कीटाणु समाप्त हो जाते हैं. मकान और दुकानों की सफाई करने से
जहां वातावरण शुद्ध हो जाता है वही वह स्वास्थ्य वर्धक भी हो जाता है.
कुछ लोग इस दिन
जुआ खेलते हैं वह शराब पीते हैं जो की मंगल कामना के इस पर्व पर एक तरह का कलंक है.
इसके अलावा आतिशबाजी छोड़ने के दौरान हुए हादसों के कारण दुर्घटनाएं हो जाती हैं
जिससे धन की हानि होती है इन बुराइयों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है.