Saturday, February 13, 2021

स्वास्थ्य के लिए अनमोल है सरसों का तेल

स्वास्थ्य के लिए अनमोल है सरसों का तेल


सरसों का तेल एक उत्तम खाद्य पदार्थ माना जाता है, इसका प्रयोग भारत के सभी प्रतो मे लगभग किया ही जाता है। आयुर्वेद शास्त्र मे सरसों से साग को लोग चाव से खाते है। पीला सरसों मसाले से लेकर औषधि के उपयोग तक मे यहम भूमिका को निभाने वाला हुआ करता है। सरसों के तेल मे कालेस्टाल का स्तर कम होने के कारण ह्रदय रोगों मे भी लाभदायक बताया जाता है।

स्वास्थ्य के लिए अनमोल है सरसों का तेल


आज के समय मे लोगों मे सरसों तेल के प्रति विमुखता आने लगी है। इसका प्रयोग भोजन मे तो किसी तरह से कर लिया जाता है, किन्तु शारीरिक प्रयोग के लिए इसे छुआ तक नहीं जा रहा है। प्राचीन काल मे सरसों के तेल का प्रयोग करके अधिकतर स्वस्थ रहने की कामना की जाती थी। आज के समय मे सुगंधित तेलों का मकड़जाल इतना अधिक फैल गया है, की सरसों का तेल मानस पटल से विलुप्त ही होने लग गया। आयुर्वेद के गरथों के अनुसार सरसों तेल की उपयोगिता इस प्रकार है।

करते रहने से उसकी खुश्की एव खुरदरापन दूर हो जाता है, तथा हाथों की त्वचा मुलायम हो जाती है।


शीतकाल मे धूप मे बैठ कर सभी उम्र के लोगों को तेल की मालिश करनी चाहिए। शिशुओ को धूप मे लिटाकर सरसों तेल की मालिश करने से उनकी थकान दूर होती है, नीद अच्छी आती है, तथा शरीर के दर्द से राहत मिलती है।

सरसों के तेल मे कपूर मिलाकर कमर, पसलियों, छाती एव सीने पर मालिश करने से सभी स्थानों के दर्द से मुक्ति मिलती है।

बेसन मे सरसों का तेल मिलाकर उबटन की तरह त्वचा पर मलने से त्वचा गोरी हो जाती है, तथा उसमे कमल के समान ताजगी या जाती है।

सरसों के तेल मे शहद मिलाकर दातों एव मसूड़ों पर हल्के हल्के मलते रहने से मसूड़ों से सभी रोग भाग जाते है, तथा दात भी मजबूत होते है।

जुकाम होने पर या नायक के बंद होने पर दो बूद सरसों का तेल नायक के छेदो मे डालकर सास जोर से खीचने पर बंद नायक खुल जाती है, और जुकाम मे भी राहत मिलती है।

सरसों का तेल वातनाशक एव गरम होता है। इसी कारण शीत काल मे वातजन्य दर्द को दूर करने के लिए इस तेल की मालिश करनी चाहिए। जोड़ों का दर्द, मासपेशियों का दर्द, गठिया, छाती का दर्द आदि की पीड़ा भी सरसों के तेल की मालिश से दूर हो जाती है।

सरसों के तेल मे सेधा नमक मिलाकर सुबह शाम दातों पर मलने से दातों से खून आना, मसूड़ों की सूजन, दातो के दर्द मे आराम पहुचता है। साथ ही दात चमकीले व मजबूत भी बनते है।

पैरों के तलवों एव अगूठों मे सरसों का तेल लगाते रहने से नेत्र ज्योति बढ़ती है। रात को हाथ पावो मे तेल लगाकर सोने से मच्छर नहीं काटते है, तथा नीद भी अच्छी आती है। बालों मे सरसों का तेल लगाते रहने से बाल मजबूत होते है, सफेद नहीं होते तथा सिर दर्द भी नहीं होता।

शीत काल मे पैरों की अगुलियों मे सूजन आ जाती है, ऐसी अवस्था मे सरसों के तेल मे थोड़ा सा पीसा हुआ सेधा नमक मिलाकर गर्म कर ले। ठंडा होने पर अगुलियों पर लेप लगाकर रात मे सो जाए। कुछ दिनों मे आराम दिखाई देगा।

स्नान से पूर्व नित्य नाभि मे दो बूद सरसों का तेल टपकाते रहने से पेट से सबंधित अनेक बीमारियों नहीं होती है, साथ ही पाचन क्रिया अच्छी बनी रहती है।

आग से पक जाने के बाद तुरंत सरसों का तेल लगा लेने से वहा फफोला नहीं होता। लिग एव योनि के भीतरी भाग मे सरसों का तेल लगाकर सभोग करने से अनेक सेक्सुअल बीमारियों से बचा जा सकता है। औषधि प्रयोग के लिए हमेशा शुद्घ तेल का ही प्रयोग हितकर होता है।

लोहे की वस्तुओ पर सरसों का तेल लगा देने से जंग का खतरा नहीं रहता है। नीबू के छिलकों मे सरसों का तेल लगाकर पीतल के बर्तन मलने से उसकी चमक बढ़ जाती है।


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