Wednesday, November 20, 2019

मौसम के अनुसार वेशभूषा का चयन


मौसम के अनुसार वेशभूषा का चयन

मौसम के अनुसार वेशभूषा का चयन
मौसम के अनुसार वेशभूषा का चयन


मनुष्य के जीवन के सभी पक्षों पर मौसम का निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है. वातावरण के तापक्रम, आद्रता, वर्षा तथा सूर्य के प्रकाश आदि कारणों का विशेष ध्यान रखा जाता है. व्यक्ति के आहार तथा रहन-सहन में भी परिवर्तजहां तकहोताहै.जहा तक  व्यक्ति की वेशभूषा का प्रश्न है. इस पर तो मौसम का प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है. मौसम संबंधी कारक अवहेलना करके वेशभूषा का चयन करना, न केवल असामान्य प्रतीत होता है. बल्कि ऐसा करना स्वय मौसम के प्रतिकूल वेशभूषा धारण करने वाले व्यक्ति के लिए अत्याधिक असुविधाजनक तथा अनेक  बार तो परेशान करने वाला भी होता है. अत: व्यक्तिगत का निर्धारण मौसम के अनुकूल ही होना चाहिए.

मौसम को ध्यान में रखकर, वेशभूषा का चयन करते समय वेशभूषा के कपडे, उनके रंग तथा स्वरूप को भी ध्यान मे रखना चाहिए.


गर्मी-  में वेशभूषा का चयन करते समय कपड़ों की ताप की सवाहकता को अनिवार्य रूप को ध्यान में रखना चाहिए. इस मौसम में उन्हीं वस्त्रो का प्रयोग करना चाहिए, जो आपके उत्तम शरीर की ताप कपड़ों के माध्यम से बाहर निकलता है. तथा शरीर को अधिक गर्मी अनुभव नहीं होती. यदि  गर्मी के मौसम में ऐसे वस्त्र धारण कर लिए जाएं तो ताप के कुचालक हो, तो उस स्तिथि में शरीर का ताप कपड़ों के माध्यम से बाहर नहीं निकल पाता तथा व्यक्ति को अत्याधिक गर्मी व बेचैनी का अनुभव होने लगता है. इस दृष्टिकोण से मौसम में सूती, लिनन तथा रेयन के वस्त्र धारण करना ही अच्छा माना जाता है. गर्म मौसम में वेशभूषा के चयन के समय कपड़ों की अवशोषण क्षमता को ध्यान में रखना भी बहुत ही आवश्यक होता है. इस मौसम में उसी वस्त्र को धारण करना चाहिए जिसमें नमी को सूखने की पर्याप्त क्षमता हो. गर्म मौसम में शरीर से अधिक पसीना निकलता है, तथा यदि पहने हुए वस्त्रों द्वारा पसीने को नहीं सोखा जाता तो शरीर में चिपचिपापन होने लगता है. गर्मी के मौसम में धारण की जाने वाली वेशभूषा के रंग का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. गर्मी के मौसम में शीतल रंगो वाले वस्त्र ही धारण करने चाहिए. हल्का नीला, हरा, फिरोजी तथा बैगनी रंग शीतल माने जाते हैं. रंगों के वस्त्र गर्मी में धारण करने से अधिक गर्मी नहीं लगती, तथा देखने वालों को भी ये रंग भाते हैं. गर्मी के मौसम में वेशभूषा के स्वरूप का भी ध्यान रखना चाहिए. इस मौसम में आंधी बाह वाले ब्लाउज का कमीज ही धारण करने चाहिए. बच्चों को लेकर तथा छोटी छोटी शर्ट पहननी चाहिए. या टीशर्ट पहनने चाहिए. इस मौसम में मौजे तथा बूट नही पहनना चाहिए.


ठंडे मौसम में वेशभूषा का निवारण करते समय सम्मान मुख्य रूप से या ध्यान रखना चाहिए कि वेशभूषा धारण करके शरीर को कम से कम ठंड लगे. अत: ठंडे मौसम में ताप के कुचालक वस्त्रों को ही वेशभूषा के लिए चुनना चाहिए. ताप के  कुचालक वस्त्र  न तो शरीर की गर्मी को बाहर निकाल निकलने देते हैं और ना ही बाहर के  ठंडक को शरीर तक पहुंचाने देते हैं. इस स्थिति में शरीर का ठंड से बचाना होता है.  ऊन तथा कुछ कृत्रिम तत्वों से निर्मित वस्त्र ताप के कुचालक होते है. तथा  शरीर को ठंड से बचाते हैं. ठंडे मौसम में इसी प्रकार के वस्त्र धारण किया जाना चाहिए. जहां तक वेशभूषा के रंग का प्रश्न है, ठंडे मौसम में गर्म रंगों के वस्त्र ही धारण किए जाने चाहिए. लाल, पीला तथा नारंगी आदि रंग गर्म होते हैं. ठंडे मौसम में इन रंगों के वस्त्र धारण किए जाना चाहिए. इस मौसम में काले रंग के अथवा काला मिक्षित्र रंग के वस्त्र धारण किए जा सकते हैं. ठंडे मौसम में भड़कीले रंगों के वस्त्र ही धारण किए जा सकते हैं. ठंडे मौसम में वेशभूषा के स्वरूप का भी ध्यान रखना चाहिए. इस मौसम में वेशभूषा इस प्रकार की होनी चाहिए, जिससे शरीर के अधिक से अधिक भाग को ढका जा सके. इस मौसम में पूरी बांह वाली कमीज धारण किए जा सकते हैं. महिलाओं तथा बच्चों को पुरी बाह के वस्त्र  पहनने चाहिए. इस मौसम में सिर ढकने के लिए भी स्काफ, टोपी या कोई अन्य वस्त्र धारण किए जाना चाहिए.

वर्षा के मौसम में वेशभूषा का निर्धारण करते समय मुख्य रूप से या ध्यान रखना चाहिए कि व्यक्ति के वेशभूषा ऐसी हो  जो भीग  जाने पर शीघ्र ही सूख जाएं. समान रूप से के तत्वों से निर्मित वस्तु गीली होने पर शीघ्र ही सूख जाते हैं. अतः बरसात के मौसम में इस प्रकार के वस्त्र धारण किए जा सकते हैं.  हमारे देश में समान रूप से बरसात के मौसम में गर्मी भी होती है. अतः इस मौसम में पसीना चिपचिपहाट की समस्या का भी सामान्य सामना करना पड़ता है. इस स्थिथि में बरसात के मौसम में यदि महीन सूती वस्त्र धारण किए जाए तो वे अधिक आरामदायक होते हैं. बरसात के मौसम में वस्त्रों के रंगों का चयन सूझ बुझ  द्वारा किया जाना चाहिए. बादल युक्त मौसम मे गहरे रंगोके वस्त्र  धारण किए जा सकते हैं. धूप के समय हल्के रंग के वस्त्र धारण किए जाना चाहिए. बरसात के मौसम में समान रूप से मौजे तथा बुट को  नहीं पहनने चाहिए.

स्कूल जाते समय वेशभूषा

बालक बालिकाओं को प्रति दिन शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्कूल जाना होता है. स्कूल जाते समय बालक बालिका की वेशभूषा का निवारण स्कूल के नियम जारी होता है. तथा प्रत्येक स्कूल की वेशभूषा निर्धारित होती है. स्कूल जाने वाले बच्चों को सदैव निर्धारित वेशभूषा धारण करनी चाहिए. निर्धारित वेशभूषा धारण करने से स्कूल के सभी छात्रों में एकरूपता बनी रहती है. ऐसे में रूपांतर सामने नहीं आता, तथा सभी बच्चों का भी का समान रूप से पाता होता है. यदि बच्चों की वेशभूषा यूनिफॉर्म आधारित ना हो तो उसके रहती है कि उस स्थिथि मे  बच्चों इस बात कि आशका रहती है कि गरीब बच्चो में हीन भावना विकसित हो जाती है.  स्कूल जाने वाले बच्चों की वेशभूषा अच्छी फिटिंग वाले होने चाहिए पक्का होना चाहिए. वास्तव में बच्चों के पहनने वाले कपड़े जल्दी मेले हो जाते हैं तथा इने बार बार धोने कि आवश्यकता पडती है.

कार्यस्थल में वेशभूषा

प्रत्येक व्यक्ति विशेष रूप से पुरुषों को प्रतिदिन अपने कार्यस्थल पर पर्याप्त समय गुजारना होता है. विभिन्न अवसर वाले व्यक्तियों का कार्यस्थल अलग अलग होता है. फैक्ट्री और या वर्कशॉप में कार्य करने वाले व्यक्तियों को कार्य की प्रकृति के अनुसार अपनी वेशभूषा निर्धारित करनी पड़ती है. प्राय इस अवसर पर चुस्त वस्त्र पहनना चाहिए. चिकित्सा, वकील, प्रोफेसर आदि को भी अपने व्यवसाय के वेशभूषा निर्धारित करनी पड़ती है. दुकान या किसी व्यापारी संस्थान में कार्य करने वाले व्यक्तियों को भी अपने कार्य के अनुरूप वेशभूषा निर्धारित करनी चाहिए. आज के युग में अनेक महिलाएं विभिन्न व्यवसायो से संलग्न है. इन महिलाओं को भी अपने व्यवसाय के रूप से वस्त्र पहनने चाहिए. महिलाओं को अपने व्यवसाय मे सिम्पल वस्त्र धारण करनी चाहिए, तथा दिखावटी वेशभूषा धारण करने के दौरान महिलाओं को बहुत ही साधारण तहलका सिंगार करना चाहिए. समान रूप से धारण नहीं करना चाहिए, यदि किसी परम्परा या मान्यता को द्रिटीगत रख कर  कुछ गहने धारण करने आवश्यक हो तो साधारण प्रकार के गहने धारण किए जाने चाहिए, खनखन आने वाले गहने बिल्कुल भी धारण नहीं करने चाहिए. कार्यस्थल पर महिलाओं को सुगंध वाले परफ्यूम भी हल्का युज करना चाहिए.

रात्रि के समय वेशभूषा

समान रूप से विभिन्न अवसरों पर मित्र जनों को रात्रि भोजन या डिनर पार्टी के लिए आमंत्रित किया जाता है. इस समय विशेष प्रकार की आकर्षक वेशभूषा धारण की जा सकती है. ऐसे अवसरों पर वेशभूषा का समुचित प्रदर्शन किया जा सकता है. अपनी रुचि हो पसंद के अनुसार चमकीले भर्कीले वस्त्र तथा जड़ी गोटे वाले अर्थात साटन तथा वेलवेट के वस्त्र भी धारण किए जा सकते हैं. वस्त्रों के अतिरिक्त सिंगार के विषय में भी किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं होता. अपनी रुचि तथा शरीर की आकृति आज के अनुसार सिंगार किया जा सकता है. बालों में फूलों का गजरा तथा अपनी पसंद का परफ्यूम भी लगाया जा सकता है. ऐसे समय मौसम के अनुकूल वस्त्रों को ही धारण करना चाहिए. वस्त्रों के साथ मेल खाते हुए सैंडल चप्पल पहनने चाहिए. अपने शरीर के आकार से मेल खाता हुआ पर्स भी लिया जा सकता है. समान रूप से अधिक बड़े आकार का पर्स पार्टी में लेकर नहीं जाना चाहिए. रात्रि भोज के अवसर पर अपने रिश्ते के अनुरूप आभूषण भी धारण किए जा सकते हैं. परंतु धारण किए जाने वाला आभूषणो को अपने वेशभूषा से मेल खाता हुआ होना चाहिए. संक्षेप में कहा जा सकता है कि रात्रि भोज के अवसर पर आकर्षक वेशभूषा धारण की जा सकती है.

तीज त्यौहार पर अवसर पर वेशभूषा

तीज त्यौहार भी हर्ष उल्लास के अवसर होते हैं. इन अवसरों पर हर्ष उत्साह तथा उमंग का वातावरण होता है. अत: रंग बिरंगे तथा भडकीले वस्त्र धारण किये जा सकते है. किशोरियो द्वारा जींस स्कर्ट आदि पहने जा सकते है. तीज त्योहार पर केश विन्यास तथा बनाव श्रृगार की भी पर्याप्त छुट होती है.

यात्रा के अवसर पर वेशभूषा

यात्रा के अवसर पर भी सामान्य से कुछ विभिन्न वेशभूषा धारण की जानी चाहिए. इस अवसर पर धारण किए जाने वाली वेशभूषा का आवश्यक गुण है. उसका सुविधाजनक का होना. यात्रा के समय इसी वेशभूषा धारण की जानी चाहिए जिसे पहनकर रेल या बस में उठना बैठना लेटना तथा सोना सरल और समान रूप से हो. इसे वस्त्र धारण करने चाहिए जो शीघ्न भी क्रश ना हो पाए. समान रूप से कृत्रिम तत्वों से निर्मित वस्त्र ही उत्तम रहते हैं. यात्रा के अवसर पर किसी प्रकार के बनाव सिगार नही होना चाहिए.  यात्रा के अवसर पर किसी भी प्रकार की आभुषणो को नही  धारण नहीं करना चाहिए.

 
खेल के अवसर पर वेशभूषा

 
खेल का अवसर भी उल्लास का होता है. इस अवसर पर व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के शारीरिक क्रियाओं भी करनी पड़ती. अत: वेशभूषा का चयन करते समय सर्वाधिक ध्यान सुविधाजनक वेशभूषा पर ही रहना चाहिए. जो वेशभूषा खेल के अनुकूल सुविधा प्रदान करने वाली हो, वही धारण की जानी चाहिए. इसके अतिरिक्त खेल के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा में आवश्यकता तथा सरलता से धोए जा सकने का गुण भी अनिवार्य रूप से विद्यमान होना चाहिए. समान रूप से खिलाड़ियों की वेशभूषा यूनिफॉर्म पूर्ण आधारित होती है तथा उन्हें वहीं वेशभूषा धारण करनी चाहिए.

शौक के अवसर पर वेशभूषा

शौक का अवसर ऐसा होता है जिसमें ना तो किसी प्रकार की उमंग होती है ना ही किसी प्रकार का उल्लास. चारों ओर सावेदता सहानुभूति का अवतरण होता है. ऐसे अवसर पर अत्याधिक तडक भडक रहित वेशभूषा धारण करना चाहिए.नामान्य रूप से सहेद वस्त्र ही धारण करने चाहिए.  शोक  के अवसर पर धारण की जाने वाली वस्त्र में किसी प्रकार का आकर्षक एवं दिखावा नहीं होना चाहिए. इस अवसर पर किसी प्रकार का सिंगार भी नहीं किया जाना चाहिए तथा किसी प्रकार के आभूषण धारण नहीं करनी चाहिए.

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