Wednesday, December 11, 2019

तुम खाओ/ ईश्वर पर विश्वास


तुम खाओ/ ईश्वर पर विश्वास


तुम खाओ/ ईश्वर पर विश्वास
तुम खाओ/ ईश्वर पर विश्वास 



  
एक राजा था. उसे ईश्वरपर विश्वास ना था, जो लोग ईश्वर स्तुति करते, ईश्वर में विश्वास रखते वह उन्हें अंधविश्वास कहता. राजा ने मंदिरों के प्रबंध के लिए राजकोष से जाने वाले धन को बंद कर दिया. मंदिरों में कुव्यवस्था था फैल गई. साफ सफाई और मरम्मत के अभाव में धीरे-धीरे मंदिर टूटने फूटने लगे.


राजा के 2 पुत्र थे. छोटा राजकुमार अपने पिता के विपरीत आस्तिक था. वह नियमित रूप से सुबह-शाम ईश्वर की प्रार्थना करता. राजा ने उसे बहुत समझाया, पर उसने ईशा वंदना नहीं छोड़ी.
एक दिन राजा सपरिवार भोजन के लिए बैठा. भोजन से पूर्व छोटे राजकुमार ने भोजन के लिए ईश्वर का उपकार माना और आंखें बंद कर ईश्वर को धन्यवाद दिया.

उसे भोजन के लिए ईश्वरका धन्यवाद करते देख, राजा ने कहा- इस भोजन के लिए तुम्हें मेरा आभारी होना चाहिए, ईश्वर का नही. मैं चाहूं तो तुम्हें भोजन मिलना बंद हो जाए, मेरे एक आदेश पर तुम भूखे मर सकते हो.


मैं जानता हूं, कि आप के आदेश पर मेरा भोजन बंद हो सकता है. यदि मुझे ईश्वर भोजन देना चाहेगा, तब वह किसी न किसी तरीके से उसे मेरे पास पहुंचा देगा और मुझे भूखा नहीं मरने देगा. ईश्वरी आदेश के बिना संसार का एक पत्ता भी नहीं हिल सकता. उसी के आदेश से दुनिया के सारे काम होते हैं. राजकुमार ने ईश्वर का गुणगान करते हुए उत्तर दिया, इस उत्तर से राजा क्रोधित हो उठा, कहा ठीक है, देखता हूं. तुम्हें कल भोजन कौन देता है.

दूसरे दिन राजा छोटे राजकुमार को लेकर वन में चला गया, इसके साथ सेनापति और सैनिक अधिकारी भी थे. जंगल में पहुंचकर राजा के आदेश से राजकुमार को एक पेड़ के ऊपर रस्सी से बांध दिया था. राजा ने कहा अब देखता हूं, कैसे देता है- कहते हुए राजा सेनापति और दूसरे सेना अधिकारी दूर झाडी में छुप कर बैठ गया. दोपहर मे एक राहगीर उधर से गुजरा. जिस पेड पर राजकुमार बंधा था, वह उसी पेड के नीचे बैठकर आराम करने लगा. थोड़ी देर बाद उसने एक पोटली निकाली और भोजन करने लगा.


अभी वह भोजन कर रहा था कि लुटेरे का एक दल उधर आ निकला. लुटेरे की आवाज सुनकर वह राहगीर भोजन छोडकर भाग गया.

वन मे पेड के नीचे भोजन देखकर लुटेरे रुक गए. उन्हें आश्चर्य हुआ कि इस घने जंगल में भोजन कौन छोड़ गया. उन्होंने इधर-उधर देखा, वहां कोई ना था. अचानक एक लुटेरे कि निगाह राजकुमार निगाह्पर पडी. लुटेरे ने आपस में कहा हो ना हो इसमें जरूर इस भोजन में जहर मिला कर दिया है, ताकि हम लोग इसे खाएं और मर जाए भोजन में जहर की बाल सोच लुटेरे आगबबूला हो उठे.
उन्होंने राजकुमार को नीचे उतारा. कहा- तुम हम लोगों को यह जहरीला भोजन खिलाना चाहते हो? अब तुम ही इसे खाओगे और हम लोगों की जगह तुम मरोगे. यह कहते हुए लुटेरो ने जबरन भोजन कराया और चले गए.


राजा और दूसरे अधिकारी झाड़ी में छिपकर यह सब देख रहे थे. राजा के समझ में आ गया कि राजकुमार को भोजन ईश्वर की इच्छा से प्राप्त हुआ है. उसने राजकुमार को प्रेम से गले लगाया और राजमहल ले आया.

उसी दिन से राजा को ईश्वर की महिमा और शाक्ति पर विश्वास हो गया. राजा के आदेश से सारे मंदिरो का गेट खुल गया. राज महल के प्रागंण मे भी एक भव्य मंदिर का निर्माण हुआ. राजा परिवार सहित नियमित रूप से पूजा अर्चना के लिए जाने लगा और ईश्वर पर भरोसा हो गया.


मैं आशा करता हुं कि, आप को मेरा यह पोस्ट पसंद आया होगा. अगर कोई गलती यह कोई सुझाव हो तो कमेंट जरुर करे.