Thursday, November 21, 2019

क्रिसमस



क्रिसमस
क्रिसमस


   
भारत में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं. इनमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई बौद्ध आदि  प्रमुख हैं. धर्म-निरपेक्ष भारत में यही कारण है, कि सभी तरह के पर्व मनाया जाते हैं. क्रिसमस अर्थात बड़े दिन का त्यौहार ईसाई धर्म के लोगों का महान पर्व है. यह पर्व हिंदुओं के रामनवमी तथा जन्माष्टमी पर्वो से मिलता-जुलता है. क्रिसमस का त्योहार लगभग विश्व के सभी देशो मे मनाया जाता है.यह पर्व प्रतिवर्ष 25 दिसम्बर को मनाया जाता है. इस दिन ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह का जन्म हुआ था. उसी खुशी में यह त्यौहार मनाया जाता है. भूगोल की दृष्टि से यह दिन वर्ष भर का सबसे बड़ा दिन होता है, इसलिए इसे बड़ा दिन भी कहते हैं.



    
इस दिन की इसाई लोगों द्वारा बड़ी उत्सुकता पूर्वक प्रतीक्षा की जाती है. इस संसार में महा प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन को बड़ी पवित्रता और आस्था पूर्वक मनाया जाता है. इस दिन ही श्रद्धालु और विश्ववस्त भक्तजन ईसा मसीह के पूर्व जन्म की शुभकामना किया करते हैं. उनकी याद में विभिन्न स्थानों पर प्रार्थनाए और भावनाएं प्रस्तुत की जाती है.



     
क्रिसमस का त्यौहार मुख्य रूप से ईसाई धर्म के अनुयायियों और उसके समर्थकों द्वारा मनाया जाता है. मसीह का जन्म 25 दिसंबर की रात 12:00 बजे बेथलेहम शहर में स्थित एक गौशाला मे हुआ था. उनकी मां का नाम मरियम था. जो कि दाऊद वंश की थी. उनकी मां ने उन्हें एक साधारण कपड़े में लपेटकर धरती पर लिटा दिया था. जन्म के समय ईसा मसीह का नाम एमानुएल रखा गया. इस शब्द से अभिप्राय मुक्ति प्रदान करने वाले से है. इनके नाम के अनुरूप ही कहा जाता है, कि ईश्वर ने उन्हें इस धरती पर मुक्ति प्रदान करने वालों के रूप में अपना दूत बनाकर भेजा है. जिसे ईसा मसीह ने अपने कार्यों द्वारा सिद्ध कर दिखाया.


पूर्व से 1 दिन पूर्व अर्थात 24 दिसंबर से लोग अपने घरों के साथ साथ धार्मिक स्थलो को सजाने लग जाते हैं. एक दिन ठीक अर्ध रात्रि में ईसा मसीह का जन्म हुआ था. इस खुशी में लोग अपने घरों को रंग बिरंगी रोशनी से सजाते है. ठीक रात्री बारह बजे गिरजाघरो मे प्रार्थना शुरू हो जाती है. और शुरू हो जाता है  बड़े दिन का त्यौहार. रात्रि 1:00 से 25 दिसंबर का बड़ा दिन शुरू हो जाता है. इस दिन भी गिरजाघरों में प्रार्थना की जाती है. प्रार्थना सभा समाप्त होने पर वहां उपस्थित लोग एक दूसरे को बधाई देकर अपने अपने घर लौट जाते हैं.


   यह त्यौहार विश्व का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है. इसाई धर्म की विशालता के कारण इस संप्रदाय के लोग लगभग विश्व  के हर हिस्से में रहते हैं. इसलिए त्यौहार संपूर्ण विश्व में बड़ी ही लग्न और तत्परता के साथ प्रति वर्ष मनाया जाता है.

अहिंसा, सत्य और मानवता के संस्थापक और प्रतीक कहलाते हैं ईसा मसीह. इनके सम्मान और साधारण जीवन के आचरण को देखकर कहा जा सकता है, कि यह सादा जीवन और उच्च विचार के प्रतीकात्मक महा माना थे. ईसा मसीह ने भेड़, बकरियों को चराते हुए उस समय प्रचलित अंध विश्वासों और रूढ़ियों के प्रति विरोध जताना शुरू किया, जिसका लोगों ने कड़ा विरोध किया. हाल-कि उनके समर्थक भी थे जो, कि अंधविश्वासों और रूढ़ियों को प्रगति में बाधक  मानते थे.



       
उनके विरोधी ज्यादा होने के कारण उन्हें प्रसिद्धि मिलने में समय नहीं लगा. ईसा मसीह के विचारों को सुन यहूदी लोग घबरा उठे. यहूदी अज्ञानी होने के साथ साथ अत्याचारी भी थे. वे ईसा मसीह को मुर्ख कह जलते भी थे. लेकिन अंदर से वे ईसा मसीह से भयभीत थे. उन्होने ईसा मसीह का विरोध करना शुरू कर दिया. यहूदियो ने ईसा मसीह को जान से मार डालने तक की योजना बनानी शुरू कर दी थी. ईसा मसीह को जब पता चला कि यहूदी उन्हे मारना चाहते है तो वे यहूदियो से कहा करते थे, कि तुम मुझे आज मारोगे मै कल फिर जी उठूगा.



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