Friday, November 15, 2019

घरेलू देसी औषधियां




घरेलू देसी औषधियां
घरेलू देसी औषधियां



आज का युग विज्ञान का युग है. आज विज्ञान ने प्रत्येक क्षेत्र में बहुत अधिक उन्नति की है. चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष खोज हुई है, जैसे- चेचक का समूल नाश, शारीरिक अंगों का प्रत्यारोपण आदि. आज प्राचीन काल में जब चिकित्सा विज्ञान ने इतनी अधिक उन्नति नहीं की थी, तब सामान बीमारियों के लिए घर पर ही चिकित्सा की जाती थी. परंतु आज अंग्रेजी दवाओं का प्रचलन अधिक हो गया है, परंतु यह दवाएं कभी-कभी बहुत घातक होती हैं. तथा फायदे की अपेक्षा हानि पहुंचा देती हैं. जैसे- दर्द निवारक गोलियां, इनके अधिक प्रयोग से अल्सर जानी आंतों में घाव हो जाता है


हमारा देश जड़ी बूटियों का देश है. जड़ी बूटियों में एक से एक भयंकर रोगों को ठीक करने की क्षमता होती है. हम अपने भोज पदार्थों में भी मसाले के रूप में बहुत से पदार्थों का उपयोग करते हैं. जिनके अनेक रोगों को दूर किया जा सकता है. जिसे- अजवाइन से वायु विकार, हल्दी से रक्तसाव रोकना, मेथी से मधुमेह एव गठिया आदि.


जो पदार्थ शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं उसे औषधि कहते हैं. ये पदार्थ शरीर के रोगाणुओं को नष्ट करके शरीर को पुष्ट बनाते हैं, और शरीर को कम से कम हानि पहुंचाते हैं.


भारत में अनेक प्रकार की जड़ी बूटियां पैदा होती है. जो अनेक रोगो मे दवाइयों का काम करती है. इस प्रकार भारत देसी दवाइयों का खजाना है. हमारे ऋषि-मुनियों ने इन्हीं जड़ी बूटियों से अनेक दवाइयों की खोज की. लक्ष्मण को जीवित करने के लिए हनुमान द्वारा संजीवनी लाये जाने और लक्ष्मण के जीवित होने का उदाहरण हमारे सामने है.


देसी औषधियों का प्रयोग:-

हमारे भोजन में प्रयोग किए जाने वाला प्रत्येक मसाला स्वयं एक औषधि है जैसे कि—



नमक-   नमक का उपयोग शरीर के लिए जो आवश्यक है ही, साथ ही साथ या शरीर के बाहर भी शरीर की दवाइयों के रूप में प्रयुक्त किया जाता है. जैसे गर्म पानी में नमक डालकर सिकाई करने से सूजन एव थकान कम हो जाती है. नमक के पानी से गरारे करने से कफ साफ होकर गला ठीक हो जाता है. जुकाम होने पर नाक से नमक मिला पानी पिए बच्चो को सर्दी लग जाने पर सूखे नमक को गर्म करके पोटली बना लें, उससे  बच्चे की छाती की सिकाई करें इसे जल्द आराम मिलता है. फोड़े फुंसी आदि पर तेल, हल्दी और नमक बांधना चाहिए इसे फौरन आराम होता है.

 
अजवाइन-   यह पेट दर्द अफारा तथा गैस के लिए लाभकारी होती है. यह सर्दी से संबंधित सभी लोगों को दूर करने में व वादी कम करने में लाभकारी है. बच्चों के पेट में कीड़े हो जाने पर अजवाइन नया अजवाइन का सत देना चाहिए. इसके अतिरिक्त ज्वर, जोड़ों का दर्द, जुकाम, खांसी तथा हिस्टीरिया में भी इसका प्रयोग किया जाता है.

हींग-   पेट के रोगों में लाभ पहुंचाती है. बच्चों में श्वास संबंधी नाड़ी तंत्र संबंधी, अमोनिया आदि इसका प्रयोग किया जाता है. हैजा, पेटदर्द, अपच तथा कुकुर खासी ऐठन आदि मे इनका प्रयोग किया जाता है. इसका पेट पर लेप करने से आतो की संबंधित बीमारियां ठीक हो जाती हैं. गैस तथा आफरा दूर हो जाता है. हींग, अजवाइन, सौठ एव नमक बराबर बराबर मिलाकर खाने से पेट दर्द में आराम होता है.

कालीमिर्च-   यह कफ दूर करती है, और गला साफ करता है.

जीरा-   यह मसालों में प्रमुख होता है. यह भूख बढ़ाता है और पाचन क्रिया ठीक करता है.

हल्दी-   यह कीटाणु नाशक होता है. यह रक्त को शुद्ध करता है. रक्त स्राव को रोकती है. यह दर्द को दूर करने के लिए तथा फोड़े फुंसी को पकाने के लिए सरसों के तेल के साथ प्रयोग की जाती है. गुम चोट लगने पर दर्द को दूर करने के लिए दूध के साथ हल्दी का प्रयोग किया जाता है. त्वचा को साफ करने के लिए भी इसका उबटन प्रयोग किया जाता है.


घरेलू देसी औषधियां
घरेलू देसी औषधियां


मेथी-   मेथी बाय वादी को दूर करने के लिए तथा मधुमेह में इसका पानी लाभदायक होता है.

सौफ-   यह प्यास को कम करती है, सिर दर्द में जो गर्मी के कारण होता है, उसमें यह लाभ पहुंचाती है. खूनी पेचिश के रोगी को सौंफ पानी में उबालकर पिलाने से लाभ होता है.

राई-   राई को बारीक पीसकर मिर्गी के रोगी को सुघाए रोगी की मुरझा दूर करने के लिए बहुत ही उत्तम प्रयोग है.

लौग-  यह दांत के दर्द के लिए बहुत ही अच्छा प्रयोग किया जाता है और जल्द ही आराम मिलता है.

अदरक-   यह पाचन क्रिया को ठीक रखता है, तथा बायवादी के रोगों में भी लाभ होता है.

पुदीना-   सूखा पुदीना तथा इसका अर्क उल्टीयो को बंद करता है. पाचन क्रिया ठीक रखता है. पेट में भारीपन, जी मिचलाना तथा अतिसार के रोगो में इसका प्रयोग किया जाता है. पुदीने की पत्तियों तथा फूलों में पिपरमेंट होता है. इसलिए इसकी पत्तियों को पीसकर सिर पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है तथा पिपरमेंट मुख की दुर्गंध को भी दूर करता है.

दालचीनी-   यह पेड़ की छाल होती है. इससे तेल भी प्राप्त होता है. छल का तेल अधिक गुणकारी होता है. अतिसार, घबराहट, जी मचलना, उल्टी तथा पेट में भारीपन महसूस होने पर इसका प्रयोग किया जाता है, कत्था तथा दालचीनी को बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से दस्त तथा मरोड़ में लाभ होता है.

नीम-   नीम हमारे लिए हर दृष्टि से उपयोगी है, इसका प्रत्येक हिस्सा जैसे- पत्ती, छाल, निबोली, जड, टहनी आदि सभी का प्रयोग किसी ना किसी रूप में लाभकारी है. इसकी छाल स्वाद में कड़वी होती है, परंतु या शरीर के लिए टॉनिक का काम करती है. मलेरिया आदि में इसका प्रयोग बहुत ही लाभकारी होता है. नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी से नहाने से चर्म रोग ठीक होता है. यदि चोट आदि पर इसकी पत्तियां पीसकर लगाएं तो घाव पकने का भय नहीं होता है.

तुलसी-   तुलसी को एक पवित्र पौधा माना जाता है, हिंदुओं के घर में इसकी पूजा की जाती है क्योंकि या मनुष्य की मां के समान ही रक्षा करती है. तुलसी की पत्तियां खासी, बुखार तथा जुकाम में लाभ पहुंचाती है. इसकी पत्तियों में कीटाणु नाशक गुण होते हैं. इनकी पत्तियों को पेट के विकार श्वास संबंधी रोग तथा मोतियाबिंद के उपचार में लाभकारी होता है. चर्म रोगों तथा घावों में इस की पत्ती पीसकर उसका लेप करने से लाभ होता है. पत्तियों को उबालकर पीने से जुकाम में लाभ होता है. तुलसी को शहद में मिलाकर लेने से खांसी में आराम आता है. मूत्र रोगों में इसके बीज तथा कान दर्द में इसका रस लाभदायक होता है, और तुरंत आराम मिलता है.

आंवला-  आंवला इसका ताजा और सूखा दोनों ही रूप में प्रयोग किया जाता है. यह यकृत की बीमारियों को दूर करने में सहायक है. आंवले का प्रयोग सब्जी, अचार तथा मुरब्बे के रूप में किया जाता है. इसके शरबत का प्रयोग हृदय के कुछ रोगों तथा उत्सर्जन संबंधी विकारों मे किया जाता है. दमा, पेचिश व अतिसार में भी या लाभदायक होता है.

 
बेल-   बेल का प्रयोग पक्के या अधपके दोनों रूप में किया जाता है. इस फल में पेक्टिन पाया जाता है, जो भोजन को पचाने में सहायक होता है. बेल का शरबत आंतो को ठंडक पहुंचाता है और आराम भी होता है.

त्रिफला-   हरड, बहेडा तथा आंवला पेट की तकलीफ दूर करने में सहायक होता है. तथा या कब्ज को दूर करता है. हरड बहेडा तीनो को मिलाकर ही त्रिफला बनता हैं.

प्याज-   प्याज को पीसकर इसका अर्क दो से तीन बूंद नाक में डालने से नाकसीर रुक जाती है. कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है. लू लगने पर प्याज खाए इसे लू नहीं लगता.

शहद-   मोटापा कम करने के लिए प्रतिदिन पानी में शहद मिलाकर पीये. इसका प्रयोग आंखों में भी किया जाता है जिसे आंखें हमेशा बनी रहती है.

सुहागा-   सुहागा खाने से सब प्रकार के विष दूर हो जाते हैं. इसे गुनगुने पानी या दूध में घोलकर लेना चाहिए.

 
अमरूद-   मसूड़ों के दर्द को दूर करने के लिए अमरूद के पत्ते को चबा चबा कर खाना चाहिए.

आक-   आक का दूध पागल कुत्ते के काटने पर दो से तीन बार आक का दूध लगाना चाहिए इसे फौरन आराम मिलता है.

जामुन-  पेचिश, दमा, खराश, मुंह के छाले, मधुमेह आदि रोगों में एवं यकृत के लिए इसका प्रयोग किया जाता है.

जैतून का तेल –   विष पीने पर वमन कराने के लिए तथा छोटे बच्चों की मालिश के लिए इसका प्रयोग बहुत ही लाभकारी होता है.

ग्लिसरीन-   मुंह को साफ करने के लिए, छालों के लिए तथा खुश्क त्वचा मे सर्दियों में नीबू के साथ इसका प्रयोग बहुत ही लाभकारी होता है.

नारियल-   बच्चों को चेचक से बचाने के लिए दूध पिलाने वाली माता को प्रतिदिन 30 ग्राम नारियल खाना चाहिए.

 
बैगन-   बैगन पीसकर इसका दूध निकाल ले. इसमें गुड़ मिलाकर सुबह-शाम पिलाएं, चोट का दर्द ठीक होगा. बैगन भूनकर उसके गद्दे से सिकाई करने से सूजन ठीक हो जाती है.

लहसुन-   कीड़ा लगने से यदि दांत में दर्द हो तो लहसुन के दो टुकड़े को गर्म करके दांत दर्द वाले दांत पर रखकर कुछ देर दबा कर रख ले दर्द ठीक हो जाता. यदि कान में दर्द हो या कान बह रहा हो तो 10 ग्राम लहसुन 10 ग्राम सिंदूर को पीसकर सरसों के तेल में पकाएं, जब तेल आधा रह जाए तो छानकर शीशी में भर लें. दिन में दो-दो बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है.

 
धनिया-   गर्मी के कारण सिरदर्द हो तो धनिया को पानी में पीसकर लगाना चाहिए. यदि चक्कर आए तो सूखा धनिया एवं आंवला बराबर मात्रा में लेकर पानी में भिगो दें. रात भर भिगोने के बाद सुबह छानकर मिश्री डालकर पीये. धनिया के पत्तों का रस पिलाने से उल्टी बंद हो जाती है. धनिया के पत्तों का रस सिर पर मरने से गंजापन दूर हो जाता है.

गाजर-   गाजर से विटामिन ए प्राप्त होता है. प्राय: खाली पेट इसका रस पीने से कीड़े निकल जाते हैं.

नींबू-   उल्टी आने पर नींबू व काला नमक चटाए लाभ होगा. पेचिश में नींबू का प्रयोग बहुत ही लाभकारी होता है.


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