घृतकुमारी
aloe-vera |
यह भारतवर्ष मे सर्वत्र
प्राप्त होती है. प्राय: इसको लोग घरो के अंदर गमलों आदि मे लगा लेते है.
गुण:
यह पचने मे भारी, रिनग्ध, कटु, शीतल और विपाक मे तिक्त
है. घृतकुमारी दस्तावर, शीतल, तिक्त, नेत्रो के लिए हितकारी, रसायन, मधुर, वीर्यवध्क और वात, विष गुल्म, तथा त्वचा रोगनाशक है.
प्रयोग:
इसका गूदा आँखो मे लगाने
से लाली मिटती है, गरमी दूर होती है, वायरल मे यह लाभ करती है.
इसके गूदे पर हल्दी डालकर
थोडा गरम कर नेत्रो पर बांधने से नेत्रो की पीडा मिट जाती है.
कर्णशूल-
इसके रस को गरम कर जिस
कान मे शूल हो, उससे दूसरी तरफ के कान
मे 2-2 बूंद टपकाने से आराम होता है.
कान के कीडे-
गर्मी के कारण कान मे
कीडे पड गये हो तो, एलुआ पानी मे पीसकर कान
मे 2-2 बूद डालनेसे कान के कीडे मर जाते है.
उदरगांठ-
इसके गूदे को पेट के ऊपर
बांधने से पेट की गांठ बैठ जाती है. कठिन पेट मुलायम हो जाता है. और आँतो मे जमा
हुआ मल बाहर निकल जाता है.
मासिक धर्म-
कुमारी के 10 ग्राम गूदे
पर 500 मि.ग्र. पलाश का क्षार बुरक कर दिन मे 2 बार सेवन करने से मासिकधर्म शुध्द
होने लगता है.
मधुमेह मे घीक्वार का 5
ग्राम गूदा 250 से 500 मि.ग्रा. गूडूची सत्वके साथ लेने से लाभ होता है.
तिल्ली-
इसके गूदे पर सुहागा बुरक
कर खिलाने से तिल्ली कट जाती है.
गठिया-
इसका कोमल गूदा नियमित
रुप से 10 ग्राम की मात्रा मे रोज खाने से गठिया मिटती है.
यदि फोडा पकने के नजदीक
हो तो घृतकुमारी का गूदा गरम करके बांधनेसे फोडा और शीध्रता से पककर फूट जाता है.
रित्रयो के स्तन मे चोट
आदि के कारण या अन्य किसी कारण से गांठ या सूजन होने पर इसकी जड की कल्क बनाकर
उसमे थोडा हरिद्रा चूर्ण गरम करके बांधने से लाभ होता है.
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