Friday, January 17, 2020

26 जनवरी / गणतंत्र दिवस


26 जनवरी/ गणतंत्र दिवस


गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस


   राष्ट्रीय पर्व में
26 जनवरी का भी विशेष महत्व है. स्वतंत्रता से पूर्व इस दिन स्वतंत्र होने की प्रतिज्ञा दोहराई जाती है. लेकिन अब स्वतंत्रता मिलने के पश्चात एक दिन हम अपनी प्रगति पर दृष्टि डालते हैं. अखिल भारतीय कांग्रेस के लाहौर में 26 26 जनवरी 1929 को हुए अधिवेशन में स्वर सम्मति से यह निर्णय लिया गया था. कि पूर्ण स्वराज प्राप्त करना ही हमारा मुख्य ध्येय है. अखिल भारतीय कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर घोषणा की थी, कि यदि ब्रिटिश सरकार औपनिवेशिक स्वराज देना चाहे तो इसके लागू होने की घोषणा 31 दिसंबर 1929 तक कर दे. अन्यथा एक जनवरी 1930 से हमारी मांग पूर्ण स्वाधीनता की होगी. इस घोषणा के बाद कांग्रेस द्वारा तैयार किया गया प्रतिज्ञा पर पढ़ा गया.

  पुर्ण स्वतंत्रता के समर्थन में देशभर में 26 जनवरी 1930  को तिरंगे ध्वज के साथ जुलूस निकाले गए, और सभाएं की गई. इनमें प्रस्ताव पास कर प्रतिज्ञा की गई, जब तक हम पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हो जाते हमारा स्वतंत्रता आंदोलन जारी रहेगा. कोई कितनी बड़ी बाधा उत्पन्न क्यों ना हो जाए, लेकिन हमारा यह आंदोलन अब थमने वाला नहीं. इस आंदोलन के तहत स्वतंत्रता की वेदी पर अनेक लालो का रक्त चढा और कवियों ने लाठी वा गोली खाई और जेलों में जाना पड़ा. अतत: 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया. भारतीयों का स्वतंत्रा का सपना आखिरकार साकार हो गया.

  सन 1950 में भारतीय संविधान बनकर तैयार हो गया. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा तैयार भारतीय संविधान को लागू करने की तिथि को लेकर काफी विचार विमर्श किया गया. अतत: 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया. इन भारत में प्रजातांत्रिक शासन की घोषणा की गई. देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए गए. देश के लिए यह दिन अत्यंत महत्व रखता है. डॉक्टर अंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान में 22 भाग 7 अनुसूचियां तथा 395 अनुच्छेद है. संविधान में स्पष्ट किया गया है कि, भारत समस्त राज्यों का एक संघ होगा.

  जनता में उत्साह और प्रेरणा जागृत करने के उद्देश्य से गणतंत्र दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार सहित सभी राज्य सरकारों की ओर से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. देश की राजधानी में या समारोह विशेष रूप से मनाया जाता है. गणतंत्र दिवस के 1 दिन पहले शाम को राष्ट्रपति देश के नाम संदेश देते हैं. गणतंत्र दिवस की सुबह इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति का अभिनंदन कर इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत होती है. अमर जवान ज्योति का अभिवादन प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है. इसके कुछ देर बाद राष्ट्रपति इस अवसर पर सैनिकों द्वारा निकाले जाने वाली परेड की सलामी लेने के लिए इंडिया गेट के पास मंच पर आते हैं. जहां उनका सेना के तीनों अंगों के सेना अध्यक्ष द्वारा स्वागत किया जाता है. इसके बाद वह मंच पर बना आसन ग्रहण करते हैं. इस अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा सैनिकों को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित भी करते हैं.

  इसके बाद आरंभ होती है गणतंत्र दिवस की परेड. इसमें सबसे पहले जल, थल और वायु सेना के वे अधिकारी होते हैं, जिन्हें परमवीर चक्र, अशोक चक्र, शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाता है. इसके बाद सेना के तीनों अंगों की टुकड़ी आती है. सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा बल होती है. सैनिकों के भी शामिल होते हैं जो राष्ट्रीय धुन बजाते हैं. इसके बाद सरकारी उपक्रमों की संस्कृति को दर्शाती झांकियां निकलती हैं. स्कूली बच्चे करतब दिखाते हैं.

  राजपथ से शुरू होने वाली यह परेड पहले इंडिया गेट होते हुए लाल किले जाती है. लेकिन पिछले 1 वर्षों से आतंकवादी गतिविधियों एवं सुरक्षा कारणों से इसका रास्ता बदल दिया गया है. बहादुर शाह जफर मार्ग होते हुए लाल किले पहुचती है. परेड के अंत मे वायुसेना के विमान तिरंगी गैस छोड़ते हुए विजय चौक के ऊपर से गुजरते हैं. कुछ विमानो द्वारा पुष्प वर्षा की जाती है. इस अवसर पर संसद भवन सहित प्रमुख भवनो पर विशेष प्रकाश व्यवस्था की जाती है. 

  उन्हें दुल्हन की तरह सजाया जाता है. इस दिन शाम को राष्ट्रपति द्वारा अपने निवास पर सांसदो और रजनीतियो, राजदूतों तथा गणमान्य लोगों को भोज दिया जाता है. या दिन बहुत विशेष होता है सब देशवासियों के लिए.

जय हिंद...

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